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चिंता क्या है? इसके लक्षण, कारण और उपचार

चिंता एक ऐसी भावना है जो हम सब कभी न कभी महसूस करते हैं जब भी ज़िंदगी में कुछ भी कठिनाई का सामना करते हैं। कई लोगों को ये चिंता बहुत ही ज़्यादा और अक्सर होने लगती है जिससे उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में दिक्कतें आने लगती हैं। उनकी चिंताएँ ख़त्म नहीं होती और कुछ कारणवश उन्हें अत्यधिक एंग्ज़ायटी महसूस होती है जिसमें वो सोचने और समझने की क्षमता खो देते हैं। और ऐसे में ग़ुस्सा आना, रोना आना, सोच समझ नहीं पाना, हाथ काँपना, चिल्लाना काफ़ी आम हो जाता है। अगर आप या आपके आस-पास कोई है जो ऐसी ही समस्या से जूझ रहा है लगातार तो इस ब्लॉग को आख़िर तक ज़रूर पढ़ें क्योंकि इसमें हमने चिंता और उसके लक्षण एवं इलाज के बारे में सब कुछ संक्षिप्त में लिखा है। इसे पढ़िए ज़रूर।

चिंता (Anxiety) क्या है?

चिंता का सामान्य परिचय:

चिंता एक सामान्य मनःस्थिति है जो किसी परिस्थिति के कारण आपके मन में उत्पन्न होती है। यह बिल्कुल सच है कि थोड़ी-बहुत चिंताएँ हर व्यक्ति के जीवन में होती हैं और यह सामान्य है। जैसे परीक्षा की चिंता या डर होना, पैसों की चिंता होना — ये सब आम बात हैं हमारी ज़िंदगी में। लेकिन अगर किसी के मन में चिंता लंबे समय से घर कर गई है और उसको थोड़ी बात भी बड़ी टेंशन दे देती है तो यह सोचनीय है। ऐसे में ज़रूरी है कि आप चिंता या एंग्जायटी के लक्षण को समझें और पता करें कि कहीं आप भी तो एंग्जायटी के शिकार नहीं हो गए हैं?

चिंता और सामान्य तनाव में अंतर:

सामान्य तनाव चिंता
कब होता है किसी काम या हालत से होता है बिना वजह या बार-बार हो सकता है
कितनी देर रहता है थोड़ी देर के लिए बहुत दिनों या महीनों तक रह सकता है
असर काम करने में मदद करता है मन और शरीर दोनों पर बुरा असर डालता है
लक्षण थकान, सिरदर्द, हल्की घबराहट दिल तेज़ धड़कना, पसीना, डर लगना
नियंत्रण आसानी से ठीक हो जाता है इलाज और मदद की ज़रूरत पड़ सकती है
कैसा होता है आम और सामान्य बात गंभीर हो सकता है
सोच आज की बातों पर होती है आने वाले समय की चिंता रहती है

चिंता के प्रकार:

  • सामान्य चिंता विकार (GAD): हर समय किसी न किसी बात की चिंता जैसे पैसा, सेहत या परिवार।
  • पैनिक डिसऑर्डर: अचानक डर का दौरा, सीना जोर से धड़कना, सांस रुकना।
  • सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर: लोगों के बीच जाने या बोलने से डर लगना।
  • OCD: बार-बार ख़्याल आना और बार-बार कुछ करना जैसे हाथ धोना।
  • PTSD: दर्दनाक घटना की यादें, बुरे सपने, बेचैनी।

चिंता के लक्षण:

A. चिंता के शारीरिक लक्षण (Body-related signs)

  • दिल तेज़ धड़कने लगता है
  • सांस लेना मुश्किल हो जाता है
  • पसीना आता है या हाथ-पैर ठंडे लगते हैं
  • मांसपेशियों में खिंचाव रहता है और जल्दी थक जाते हैं

B. चिंता के मानसिक लक्षण

  • बार-बार बुरे या डरावने ख्याल आते हैं
  • ध्यान लगाना मुश्किल होता है
  • मन बेचैन रहता है या हमेशा डर लगता है
  • बिना वजह भविष्य की चिंता सताती है

C. चिंता के व्यवहारिक लक्षण

  • अकेले रहने का मन करता है, लोगों से दूर हो जाते हैं
  • या तो नींद नहीं आती या बहुत ज़्यादा नींद आती है
  • छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आता है या हम चिड़चिड़े हो जाते हैं

चिंता के प्रमुख कारण

  • मानसिक और भावनात्मक तनाव: रिश्तों, काम, या दुखद अनुभवों से उत्पन्न तनाव।
  • हार्मोनल असंतुलन: सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे रसायनों का असंतुलन।
  • पारिवारिक और सामाजिक दबाव: दूसरों की उम्मीदों का भार।
  • लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्याएँ: असंतुलित आहार, अधिक कैफीन या शराब।

चिंता को कम करने के प्रभावी उपाय

  • ध्यान और योग: प्राणायाम और ध्यान से मन शांत होता है।
  • संतुलित आहार और वॉक: फल, सब्ज़ियाँ और रोज़ाना टहलना।
  • पूरी नींद और दिनचर्या: 7-8 घंटे की नींद और सुबह जल्दी उठना।
  • मोबाइल से ब्रेक: स्क्रीन टाइम कम करें और वास्तविक जीवन से जुड़ें।

चिंता का उपचार

  • CBT (Cognitive Behavioral Therapy): नकारात्मक सोच को बदलना।
  • दवाइयाँ: डॉक्टर द्वारा सुझाई गई एंटी-एंग्जायटी दवाएँ।
  • आयुर्वेदिक उपाय: अश्वगंधा, ब्राह्मी, हर्बल चाय।
  • थेरेपी और काउंसलिंग: भावनाओं को समझने और संभालने में मदद।

चिंता से बचाव के उपाय

  • मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना: अपनी भावनाओं को समय दें।
  • वर्क-लाइफ बैलेंस: काम और निजी जीवन में संतुलन।
  • सकारात्मक सोच: आत्मविश्वास और लक्ष्य निर्धारित करें।
  • रिलैक्सेशन तकनीक: गहरी साँसें लेना, म्यूज़िक सुनना, प्रकृति में समय बिताना।

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