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क्या ज़्यादा सोचने से एंग्जायटी होती है? जानें कारण, लक्षण और बचाव के उपाय


08 / 07 / 2025
Rehabilitation Centre for Depression

आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में हर कोई किसी न किसी चीज़ को लेकर परेशान है — नौकरी, रिश्ते, भविष्य की चिंता, या खुद से जुड़ी असुरक्षाएं। लेकिन अगर यह 

जब इंसान बार-बार एक ही बात पर सोचता है और उसका कोई हल नहीं निकलता, तो वह दिमागी थकान, मानसिक तनाव, चिंता और डर का शिकार होने लगता है। इस लेख में हम समझेंगे कि ये स्थिति कैसे पैदा होती है, इसके लक्षण क्या हैं, और इससे कैसे निपटा जा सकता है।

ज़्यादा सोचने की बीमारी क्या है?

Overthinking यानी ज़रूरत से ज़्यादा और बार-बार सोचते रहना  वो भी ऐसी बातें जिनका या तो कोई हल नहीं या जिन पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता। यह धीरे-धीरे anxiety और mental stress का रूप ले लेता है।

उदाहरण के लिए 

  • अगर मैंने वो फैसला गलत लिया हो तो?

  • लोग मेरे बारे में क्या सोचते होंगे?

  • भविष्य में क्या होगा?

इन सवालों का कोई अंत नहीं होता। और यही बनाता है इसे एक बीमारी, जो समय के साथ दिमाग को कमजोर और अस्थिर बना सकती है। 

मानसिक तनाव के लक्षण

मानसिक तनाव के लक्षण कई बार शारीरिक और मानसिक दोनों रूप में दिखाई देते हैं। यदि आप या आपके किसी अपने में नीचे दिए गए लक्षण दिखें, तो सतर्क हो जाइए:

    1. हर समय चिंता और बेचैनी महसूस होना

    2. नींद की कमी या नींद का बार-बार टूटना

    3. छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना

    4. भूख में कमी या अचानक ज़्यादा खाना

    5. सामाजिक गतिविधियों से दूरी बनाना

  • शरीर में दर्द या थकान रहना, खासकर सिर और पीठ में

यह सब संकेत हैं कि व्यक्ति किसी मानसिक बोझ के नीचे दबा हुआ है और उसे मदद की ज़रूरत है।

चिंता और डर के कारण 

चिंता और डर के कारण व्यक्ति के अनुभव, सोचने का तरीका, और जीवन की परिस्थितियों पर निर्भर करते हैं। लेकिन कुछ सामान्य कारण हैं:

    • बचपन या अतीत का कोई ट्रॉमा

    • बार-बार फेल होने का डर

    • रिश्तों में अस्थिरता

    • नौकरी या भविष्य को लेकर असुरक्षा

    • कम आत्मविश्वास और खुद पर शक करना

  • सोशल मीडिया से तुलना

जब यह डर दिमाग में जगह बना लेता है, तो व्यक्ति हर छोटी बात को लेकर डरने और सोचने लगता है, जिससे मानसिक स्थिति और भी बिगड़ जाती है।

डर और चिंता का इलाज: कैसे पाएँ मानसिक शांति

अच्छी खबर यह है कि चाहे जितनी भी गंभीर हो, डर और चिंता का इलाज संभव है। इसमें कुछ व्यवहारिक और मानसिक तकनीकों की मदद से राहत पाई जा सकती है:

सिर्फ 10 मिनट ध्यान करें

हर दिन कम से कम 10 मिनट ध्यान (मेडिटेशन) या गहरी सांस लेने का अभ्यास करें। यह आपके मन को शांत करता है और नकारात्मक विचारों को नियंत्रित करने में मदद करता है।

अपने विचार लिखें (जर्नलिंग करें) - रोज़ाना अपने मन में आने वाले विचारों, भावनाओं और डर को एक डायरी में लिखें। इससे मन हल्का होता है और विचारों को क्रमबद्ध करने में सहायता मिलती है।

शारीरिक गतिविधियाँ बढ़ाएँ - योग करें, सुबह या शाम टहलने जाएं, या हल्का व्यायाम करें। यह सभी उपाय तनाव और चिंता को कम करने में बेहद प्रभावी होते हैं।

पेशेवर मदद लें   अगर आपको लगता है कि हालात आपके नियंत्रण से बाहर हो रहे हैं, तो मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ या थेरेपिस्ट से संपर्क करने में देर न करें। सही मार्गदर्शन समय पर मिल जाए तो स्थिति को संभालना आसान हो जाता है।

सोशल मीडिया से थोड़ी दूरी बनाएं - दूसरों से तुलना करने की आदत से बचने के लिए जरूरी है कि आप सोशल मीडिया से कुछ समय का ब्रेक लें। असली जीवन में रिश्तों और अनुभवों से जुड़कर मन को स्थिरता और संतुलन मिलता है।

अगर आप चाहें तो मैं इन्हीं पॉइंट्स को लेकर एक इन्फोग्राफिक स्क्रिप्ट या सोशल पोस्ट भी बना सकता हूँ। बताइए, क्या बनाऊं?

निष्कर्ष

ज़्यादा सोचने की बीमारी, मानसिक तनाव के लक्षण, और चिंता और डर के कारण यह सब एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और यदि इन्हें समय रहते समझा और संभाला जाए, तो इंसान एक बेहतर, शांत और संतुलित जीवन जी सकता है।

अपने विचारों को नियंत्रित करना आसान नहीं होता, लेकिन यह असंभव भी नहीं है। पहला कदम है — स्वीकार करना कि हमें मदद की ज़रूरत है। और याद रखें:मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य।

Frequently Asked Questions

1. क्या ज़्यादा सोचने से एंग्जायटी हो सकती है?

हाँ,बार-बार और लगातार सोचने से दिमाग पर दबाव बढ़ता है, जिससे एंग्जायटी यानी चिंता की स्थिति पैदा हो सकती है।

2. ज़्यादा सोचने की बीमारी के लक्षण क्या हैं?

लगातार तनाव, नकारात्मक विचार, नींद न आना, चिड़चिड़ापन, और दिल की धड़कन तेज़ होना ज़्यादा सोचने की बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं।

3. एंग्जायटी और ज़्यादा सोचने में क्या संबंध है?

ओवरथिंकिंग से दिमाग थक जाता है, जिससे चिंता, भय, और बेचैनी जैसे लक्षण उभरते हैं। यह मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

4. ज़्यादा सोचने से होने वाली एंग्जायटी से कैसे बचें?

मेडिटेशन करें, नियमित व्यायाम अपनाएं, जर्नलिंग करें, सोशल मीडिया से दूरी बनाएं, और ज़रूरत हो तो मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें।

5. क्या ज़्यादा सोचने की समस्या का इलाज संभव है?

जी हाँ, थैरेपी, काउंसलिंग, दवाएं और जीवनशैली में बदलाव के ज़रिए इसका इलाज संभव है। समय रहते मदद लेना बहुत ज़रूरी है।

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